मेरा गांव मेरा देश

संस्कृति के नाम पर भले ही कई आवाजें उठ रही हों लेकिन इनमें से ज्यादातर उठने वाली आवाज स्वार्थ हित में ही होती हैं। कोई विरला ही इनमें से आगे आता है और अपना स्वार्थ छोड़कर सिर्फ अपनी बोली अपनी भाषा और अपनी संस्कृति के लिए समर्पित हो जाता है। हमारे सामने ऐसी कई मिसाल हैं जिनसे यह साबित हो जाता है कि सभी संस्कृति बचाने की बातें तो करते हैं लेकिन धरातल पर काम करने वाला कोई एक आधा ही होता है। मेरे मन में यह विचार अक्सर उमड़ता है कि क्या हम वाक्य ही सही मायने में उत्तराखंड की संस्कृति को बचाने के इच्छुक हैं या फिर हवा में ही बातें किए जा रहे हैं। इसलिए आओ अब यह मौका है हम पूरा साल ना सही कम से कम जून के महीने में जब बच्चों को भी स्कूल की छुट्टियां पड़ जाती हैं कम से कम इन दिनों में अपने गांव अपने घर जाकर उत्तराखंडी होने का सम्मान प्राप्त करें।

अगर हम सिर्फ साल में एक दो बार जाकर अपनी हाजिरी भी लगवा आएं, अपने खेत, खलिहान, अपने मकान की संभाल करने में जुड़ जाएं तो कभी कहीं महसूस ही नहीं होगा कि यहां से पलायन हो रहा है। अगर हम पलायन को नहीं रोक पा रहे हैं तो कम से कम साल में एक दो बार अपने गांव जाने का प्रण तो कर ही सकते हैं। इससे उन महानुभावों को बल मिलेगा जो उत्तराखंड में रहकर उत्तराखंड के पलायन को रोकने के लिए दिन रात एक कर रहे हैं क्योंकि अगर यहां से उत्तराखंड में हर उत्तराखंडी जाएगा तो वहां कुछ ना कुछ खर्च करके आएगा और यह खर्चा उत्तराखंड को और विकसित करेगा। तब शायद क्या पता उत्तराखंड इतना विकसित हो जाए कि फिर हमें वहां साल में दो बार जाने का नहीं बल्कि वहीं बसने का मौका मिल जाए। मेरी आप सब से यही प्रार्थना है कि अपने गांव के मेलों में जरूर हाजिरी भरें और ज्यादा से ज्यादा मेलों, धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करें।

इसी तरह गांव बेडगांव पट्टी मनियारस्यू में 13 और 14 जून 2018 को भव्य जागरण एवं भंडारा करवाया जा रहा है। इस आयोजन के दौरान उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध गायक जागर सम्राट प्रीतम भरतवाण और लोक गायक मुकेश कठैत की टीम विशेष तौर पर पहुंच रही है। सभी ग्राम वासियों से निवेदन है कि अपनी अपनी हाजिरी जरूर लगवाएं। इस आयोजन के लिए समस्त बेडगांव वासियों का धन्यवाद। जय उत्तराखंड
लेखक: बीरेंद्र पटवाल, प्रधान, पौड़ी गढ़वाल सभा पटियाला।

One Comment on “मेरा गांव मेरा देश”

Naveen Rawat says:

Nice