भाषा संस्कृति बोलने व बर्तने से ही बचेगी: डॉ. जलन्धरी

अमृतसर। गढ़वाल सभा भवन कृष्णा नगर अमृतसर में ‘अपणि बोलि-अपणि भाषा’ जन जागरण अभियान कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रेम सिंह पंवार ने की। बैठक में गढ़वाली सभा कृष्णा नगर, उतराखण्डी गढ़वाली रामलीला कमेटी के पदाधिकारी शामिल रहे। जनजागरण अभियान के लिए अमृतसर पहुंचने वाले सदस्यों में डॉ. बिहारीलाल जलन्धरी, चंद्र सिंह रावत, प्रेम सिंह बिष्ट, बिनोद प्रसाद भट्ट शामिल थे।

गढ़वाली सभा के उप प्रधान अमर सिंह पंवार उत्तराखंडी ने कहा कि उत्तराखंड में पंजाबी की तरह एक प्रतिनिधि भाषा की आवश्यकता है लेकिन राज्य गठन के बाद भी हम गढ़वाली कुमाऊँनी जौनसारी के फेर में फंसे हुए हैं। हमारा पूरा समाज एकजुट होने पर भी बंटा हुआ है।

समिति के सदस्य प्रेम सिंह बिष्ट ने कहा कि उत्तराखंड की भाषा के लिए एक आंदोलन की जरूरत है हम निकट भविष्य में देश में तमाम उतराखण्ड समाज की संस्थाओं को देहरादून में आमंत्रित कर इस बात को सरकार के सम्मुख रखेंगे। उन्होंने लुधियाना में अपनी भाषा के एक कवि सम्मेलन का आयोजन करने के लिए कहा।
चंद्र सिंह रावत ने लगातार हो रहे पलायन से खाली होते गांव और उजड़ते घरों की ओर ध्यान आकर्षित किया। डॉ. जलन्धरी ने कहा कि हमारी भाषा और संस्कृति बोलने व बर्तने से ही बचेगी। उन्होंने कहा कि हम भाषा के लिए एक ऐसे विषय पर काम कर रहे हैं जिसकी भविष्य में नितांत आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि हम भाषा को रोजगार का साधन भी बनाना चाहते हैं। उत्तराखंड सरकार राज्य के लिए एक प्रतिनिधि भाषा पर काम करने को लेकर एक समिति का गठन करे जो कक्षा एक से दसवीं तक पाठ्यक्रम तैयार कर उसे प्राथमिक स्तर से दसवीं तक लागू करे। जो इस विषय की परीक्षा को उत्तीर्ण करेगा उसे उतराखण्ड की शासकीय सेवाओं में आरक्षण दिया जाए।

बैठक में परमजीत सिंह, बचन सिंह पंवार, बलवीर सिंह रावत, जसवंत सिंह, शूरवीर सिंह रावत, धनसिंह पंवार, सिताब सिंह, धीरेंद्र कुमार खंसीली, रबींद्र बिष्ट, जुगल किशोर जलन्धरी, अशोक सिंह ने अपनी बात रखी। इस अवसर पर संस्थाओं के पदाधिकारियों ने समर्थन पत्र भेंट किए। मंच संचालन चंद्र सिंह रावत ने किया।

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