कौसानी

चीड़ के पेड़ों से भरे जंगलों में बसा है खूबसूरत हिल स्टेशन कौसानी। नंदा देवी, नंदाकोट और त्रिशूल पर्वतों का नजारा पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। कौसानी समुद्र तल से 6075 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। गरुड़ कत्यूरी, बैजनाथ और सोमेश्वर की घाटियां का नजारा लेना नहीं भूलते। आईए जानते हैं कौसानी की अन्य खासियतों के बारे में…

कुमाऊं मंडल के बागेश्वर जिले में स्थित कौसानी पहले अल्मोड़ा जिले का हिस्सा था, तब इसे लोग वलना के नाम से जानते थे। यह अल्मोड़ा जिले से 53 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। महात्मा गांधी ने यहां की भव्यता से प्रभावित होकर इस जगह को ‘भारत का स्वीट्जरलैंड’ कहा था। गुजराती ब्राह्मण श्री चंद तिवारी को राजा ने बाद में यहां का बहुत बड़ा हिस्सा दे दिया था। इसके अलावा कौसानी में चाय के बागान, मंदिर, आश्रम, बैजनाथ मंदिर, शिव मंदिर, रुद्रहरि महादेव मंदिर, पिन्नाथ मंदिर, कोट भ्रामरी मंदिर और अन्य पयर्टन स्थल देखने लायक हैं। इस जगह लंबी पैदल यात्रा, चट्टानों की चढ़ाई करने वालों के लिए बेहद बढ़िया आकर्षण हैं। यहां मनाई जाने वाली मकर संक्रांति जिसे उत्तरायणी कहते हैं, दुनिया भर में मशहर है। अनाशक्ति आश्रम में महात्मा गांधी कुछ दिन ठहरे थे, इसे अध्ययन और शोध केंद्र में तब्दील किया जा चुका है। सरला नाम से जाने जाते लक्ष्मी आश्रम का निर्माण 1948 में महात्मा गांधी के समर्थक कैथरीन हिलमन ने करवाया था। कौसानी से 11 किलोमीटर दूर सोमेश्वर शहर में पड़ता शिव मंदिर कौसानी से 11 किमी दूर है। हिंदी कवि सुमित्रानंदन पंत कौसानी में जन्मे थे यहां एक उनके नाम से म्यूजियम भी बनाया गया।

कैसे जाएं
-कौसानी बस स्टेशन सभी शहरों के साथ जुड़ा है।
-काठगोदाम रेलवे स्टेशन कौसानी जाने के लिए सबसे नजदीक पड़ता है।
-कौसानी जाने के लिए सबसे नजदीकी हवाई अड्‌डा पंत नंगर है। यहां से निजी तौर पर टैक्सी बुकिंग की सेवा उपलब्ध है।

किस समय जाएं
कौसानी जाने का सबसे अच्छा समय अप्रैल से जून के बीच का समय है। इन दिनों में मौसम बड़ा खुशगवार हो जाता है।

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